हिन्दीपत्रकारिता ने कोरोना काल में किस तरह अपनी संवेदना खो दी,इसका उदाहरण कुछ उन शब्दों से मिलता है जिनका इन दिनों जमकर उपयोग किया जा रहा है।मृत्यु की जगह मौत, संख्या की जगह तादाद, शव की जगह लाश,अंतिम क्रिया या संस्कार की जगह जलाना और गरीबों के लिए तू-तड़ाक वाली भाषा।
@chitraaum