@ABPNews#निर्भर
आदिगुरु हम थे निरापद,
शून्य, ज्योतिष के विशारद।
शल्य-आयुर्वेद-शोधन–
शिष्य बन था विश्व गदगद।
बूँद-भर थी प्यास जग की
देश था जब ज्ञान-सागर।
फिर बनें हम आत्म-निर्भर।
@ABPNews#तूफान
खुदगर्ज़ी की मौत मयस्सर
तो होनी है, हो जायेगी।
खुद्दारी पर मर मिटने की
घड़ी नहीं वापस आयेगी।
ख़ाक-ए-वतन के ज़र्रे से
जो उठता, तूफान अलग है।
अगर कफ़न का रंग तिरंगा
हो, उसकी फिर शान अलग है।