विचारे,
आस्था नाम से सदियों पूर्व तोड़े धर्मस्थलों को लेकर आपस मेें लड़कर एकता-अखंडता, भाईचारे-प्रेम-सामाजिक सदभाव को तोडना चाहते,
या पुराने विवाद भूलाकर 15 Aug-1947 को जिस धर्मस्थान की जैसी स्थिति थी, उसे स्वीकार करके भारत को मजबूत करके दुनिया में अपना सिक्का कायम करना चाहते?